Shiv Path in Hindi : शिव का पाठ हिंदी में देखे

Shiv Path in Hindi : हेलो नमस्कार दोस्तों आज हम यह ब्लॉग में Shiv Path in Hindi के बारे में चर्चा करने वाले हे! यही हालही में श्रावण महीने का आगमन होने वाला हे उसमे सभी शिवजी के भक्त शिव पाठ का गान करने का सोख रखते हे !

इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आये हे शिव जी का पाठ जो हिंदी में हे तो चलिए आगे बढ़ते हे !

शिव चालीसा पाठ 

।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुंडल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुंडमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नंदि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहं करी सहाई। नीलकंठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शंभु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पंडित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमंत ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 

शिव चालीसा पाठ के नियम

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
  • शिव पूजा में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें।
  • पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें।
  • शिव चालीसा का 3, 5, 11 या फिर 40 बार पाठ करें।
  • शिव चालीसा का पाठ सुर और लयबद्ध करें।
  • शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें।
  • पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।
  • थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें।

शिव का पाठ हिंदी में

शिव चालीसा का पाठ कैसे करते हैं?

पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार, शिव चालीसा हमेशा स्नान करने के बाद ही पढ़नी चाहिए. इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनकर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठ जाएं. भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें और उसके समक्ष घी का दीपक जलाएं. मूर्ति के पास तांबे के लोटे में साफ जल में गंगाजल मिलाकर रख दें.

शिव चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होता है?

भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. भोलेनाथ को उनकी सौम्य आकृति के साथ उनके रौद्ररूप के लिए पहचाना जाता है. वेदों के अनुसार भक्त शिव चालीसा का अनुसरण अपने जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए करता है. शिव चालीसा के माध्यम से आप भी अपने दुखों को दूर करके शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

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